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रेल मे माँसाहार

जनजागरण अभियान
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      विगत दिनो म़ें  दिल्ली से ओड़ीसा के अभिमुख यात्रा कर रहा था. एक बुजुर्ग व्यक्ति जिनकी उम्र ६५ के करीब होगी अकेले ही उसी कॅंपार्टमेंट मे सफ़र कर रहे थे, बातचीत के दरम्यान ग्यात हुआ उनका ग़ाज़ियाबाद से बिलासपुर तक का सफ़र था.
         रात्रि मे भोजन से पूर्व जब केटरिंग वाले ने आकर आर्डर लेना शुरू किया उन्होने अपना आर्डर दिया, कम्पार्टमेंट के तीन और लोगो ने भी अपने भोजन का आर्डर दिया. कुछ घंटो बाद जब केटरिंग वाले ने आर्डर पंहुचाना शुरू किया, तब उन बुजुर्ग  का  केटरिंग वाले से इस बात पर बहस छिड़ गई कि केटरिंग वाले ने सभी के भोजन के  प्लेटे  इकट्ठे एक के उपर एक रखकर लाया था – जिसमे आमीष और निरामिष भोजन के प्लेट सम्मिलित थे, आर्डर देते वक़्त उन्हे इस बात का इल्म नही था कि रेलवे केटरिंग मे माँसाहार भोजन भी परोसा जा रहा है सो वे शुद्ध  शाकाहारी होने की वजह से उन्होने प्लेट लेने से इन्कार कर दिया .
       तत्पश्चात   सामने बैठे व्यक्तियो ने जब अपना माँसाहार भोजन करना शुरू किया तो उन निराहार बुजुर्ग ब्यक्ति को अपना लागेज दूसरो के भरोसे छोड़ थोड़े समय के लिए अन्यत्र जाकर बैठने पर मजबूर होना पड़ा. जब उन्होने अपनी सीट छोड़ी सामने भोजन कर रहे माँसाहारियो ने अपनी सुविधा के लिए सामने खाली पड़े उन बुजुर्ग ब्यक्ति के सीट पर अपनी प्लेटें रखकर सेवन करना शुरू कर दिया. बुजुर्ग ने जब आकर देखा तो उन्हे ग्लानि महसूस हुई फिर उनकी तू तू मे मे उन लोगो से भी हो गई.
           इस तरह की तकलीफ़ देह वाक़यात ट्रेन मे सफ़र के दरम्यान कितने ही यात्रियो के साथ  नित दिन होती होगी, उपर से सामान्य सी नज़र आने वाली ये घटनाए कितनी नाज़ुक व गंभीर है और रेलवे कॅंपार्टमेंट मे मांसाहार भोजन कितना जायज़ है इसका हम विश्लेषण करेंगे.
       शाकाहारी समूह तो इसे सम्पूर्ण रूप से गैर मानविक करार देंगे, हम चर्चा करेंगे उन लोगो से जो मांसाहारी है, साथ ही सवाल करेंगे उस कर्त्तपख्य से  जिसने मांसाहार भोजन को रेलवे केटरिंग में शामिल करने पर अपनी सहमति प्रदान की है .
        विचार कीजिये जो व्यक्ति मांसाहार है – वे मांसाहार की बजाय शाकाहार भोजन से भी अपनी तृप्ति कर सकते है और अपना रेलवे सफर सहजता पूर्वक पूरा कर सकते है, इससे उन्हें अपनी ख्यूदा शांत करने में कही कोई अपरिपूर्णता नहीं रह जाएगी और न ही उनके शारीरिक और या मानसिक स्थिति में कही कोई व्यथा उत्पन्न होगी , लेकिन अब जरा सोचिये आपके साथ सफर कर रहे उन शुद्ध शाकाहारी लोगो का जो सफर के दरम्यान कम्पार्टमेंट में एक पारिवारिक सदस्य की भांति रहते है ,भोजन के वक़्त उनके समख्य जब आप मांसाहार का सेवन करते है, तब उनकी क्या मानसिक स्थिति होती होगी और अंदरुनी शारीरिक स्थिति भी उनकी कितनी ब्यथापूर्ण होती होगी, और यदि उनमे कोई शारीरिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति हो, अथवा बुजुर्ग हो जो संपूर्ण निरामिष हो तो उसकी जो अवस्था होती होगी उसका अनुमान  तो सहजता से कोई मांसाहारी लगा ही नहीं सकता, संभवत: उस वक़्त उनकी  अवस्था इतनी गंभीर हो सकती है कि तत्काल उन्हें दवा और डाक्टर की जरूरत पड़ जाए.
       तनिक सोचिये आप रेल में सफर के दरम्यान खिड़की के समख्य बैठकर मांसाहार भोजन कर रहे हो और उसी वक़्त बगल की ट्रेक पर एक और ट्रेन आकर रूकती है, और उस ट्रेन के रुकते ही भोजन करते हुए आपकी नजर उस ट्रेन के निचले हिस्से से ट्रेक पर जाती है , जहा स्टेशन पर खड़ी ट्रेन पर किसी ने संडास का प्रयोग किया और निचे गिर रहे गन्दगी पर एक कुत्ते ने आकर जुबान फिरनी शुरू कर दी, भोजन करते वक़्त उस दृश्य को देखकर आप कैसा महसूश करेंगे ? तत्काल आप अपनी निगाहे फेरने पर मजबूर हो जायेंगे, जबकि वो दृश्य आपके कप्मार्टमेंट के बहार की है तब भी , जिस बुरे अहसाश से आप उस  वक़्त   ब्यथित होंगे यकिन मानिये उससे भी कई गुणा ज्यादा तकलीफदेह मांसाहार भोजन पर किसी शाकाहारी की नजर पड़ने पर होती है .
       इस हेतु कई शहरो के  स्थानीय प्रसाशन ने सार्वजनिक राहो पर मांश बिक्रेताओं के खुलेआम बैठने पर रोक लगा दी है फिर सार्वजनिक सफर पर माँस भखण पर पाबन्दी क्यों नहीं ? जब रेलवे कम्पार्टमेंट में धूम्रपान निषेध है तो मांसाहार निषेध क्यों नहीं ?
        ये सरकार अथवा रेल मंत्रालय के अदूरदर्शिता का परिचय नहीं तो और क्या है ?
        रेलवे सेवा एक बृहद सार्वजनिक परिवहन सेवा है , इसके सभी नीति नियम सभी वर्ग के लोगो को ध्यान में रखकर निर्धारित की जानी चाहिए.
        आइये हम सब मिलकर सार्वजनिक स्थानो पर मांसाहार भोजन को प्रत्याहार करे एव रेलवे के इस अव्यवस्था व अदूरदर्शिता के खिलाफ आवाज उठाये और भारत में रेलवे सफर को सभी वर्ग के लोगो के लिए सुविधाजनक बनाने में अपना बहुमूल्य योगदान दे .
         इस मुहिम में अपना योगदान देने के लिए रेलवे बोर्ड की केटरिंग सेवा के शिकायत निवारण केंद्र के टोल फ्री न० 1800111321 के जरिये अपना विरोध प्रदर्शन करे अथवा www . irwebportal .com  पर अपनी शिकायत दर्ज करे .

          धन्यवाद .

by . Suraj Agrawal – Rourkela  Odisha                                                                                                                                      Also Published in Yahoo , Google , Blogspot at a time

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