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ऑनलाइन F I R

जनजागरण अभियान
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Police       दिनों दिन बढती हुई संचार माध्यमो एवं जन-जन के हाथो तक ‘इंटरनेट’ की पहुँच की वजह से आज सबकुछ ‘ ऑनलाइन ‘ सिस्टम हो चूका है – ऑनलाइन बिल पेय, ऑनलाइन प्रीमियम पेय, ऑनलाइन टैक्स पेय, ऑनलाइन टैक्स रिटर्न, ऑनलाइन टिकट बुकिंग, ऑनलाइन होटल बुकिंग, ऑनलाइन परचेजिंग आदि . इनमे से कुछ भी आज आप अपने घर पर या आफिस में बैठे बैठे किसी भी फुर्सत के समय में इत्मिनान से कर सकते है , इससे जहा आप पर वक़्त  की कोई पाबन्दी नहीं होती वही आपके समय की भी भरपूर बचत होती है साथ ही भाग दौड़ की तकलीफों से भी निज़ात मिल जाता है .

         लेकिन इसके बावजूद हमारी सरकार, F I R ( फर्स्ट इन्फार्मेसन रिपोर्ट )  जो थाने में पुलिस द्वारा दर्ज की जाती है को ऑनलाइन सिस्टम करने की जुगत में कतई नज़र नहीं आती, जबकि F I R  को ऑनलाइन सिस्टम  करने की जरुरत सबसे ज्यादा है, हमारे देश में इसकी अहमियत इसलिए भी ज्यादा बढ़ जाती है क्यों कि यहाँ भ्रस्टाचार का बोल बाला है .

          किसी आम आदमी का यदि मोबाइल फोन चोरी हो जाता है या उसके फोन का ‘सिम कार्ड’ कही खो जाता है तो भविष्य के संभावित झंझटो से बचने के लिए उसे निष्क्रिय करना कितना जरुरी है और इसके लिए थाने में F I R देना कितना आवश्यक है यह यक़ीनन हर एक आम आदमी की जानकारी में नहीं है , लेकिन जिस किसी आम आदमी ने भी इसकी जानकारी के तहत F I R  देने के लिए थाने के द्वारस्थ हुआ हो , उसे इस बात का इल्म हो जाता है कि इस छोटी सी बात के लिए  F I R  दर्ज कराने में उसे कितनी मुश्किले आई .

               उसी प्रकार किसी आम आदमी कि  यदि बाइक चोरी हो जाती है, तो बाइक मिलने कि उम्मीद पर कम अलबत्ता चोरी का F I R   न लिखाने कि सूरत में होने वाली संभावित मुसीबतों से बचने कि जुगत में ज्यादा –  F I R लिखाने जाने पर उसे कितनी दिक्कत्तो का सामना करना पड़ता है ये तो कोई भुक्तभोगी ही समझ सकता है .

              दुसरे बहूत से मामलात में तो  आम आदमी से पुलिस द्वारा F I R  ली भी नहीं जाती और अगर ली गई भी तो उसकी जो प्रतिलिपि (COPY )  उसे सौपी जनि चाहिए वो उसे नहीं दी जाती . कुछ बिशेस मामलो में तो F I R लेने कि बजाय आरोपित पख्य को खबर कर दी जाती है और उसके द्वारा उल्टा झूठा FI R  दर्ज करा लिया जाता है.

            ऐसे मामलो में ब्यक्ति द्वारा सीधे “आराख्यी  अधिख्यक” ( S .P ) के पास जा F I R लिखाने का कानूनन प्रावधान है, अलावा इसके S D J M कोर्ट जाकर भी F I R  दिया जा सकता है , लेकिन यहाँ पर सोचने वाली बात यह है , कि देश के आम  जनता में से कितने प्रतिशत लोगो को कानून के इस प्रावधान कि जानकारी है ? दूसरा  जिन कुछ प्रतिशत लोगो को इसकी जानकारी है भी तो उनमे से कितने प्रतिशत लोग पुलिस अधिख्यक (एस० पी०) कि चौखट अथवा कोर्ट कि दहलीज तक अपने कदम ले जाने की हिमाकत कर सकते है ? ज्यादातर अधिकाधिक मामलो में तो वे पुलिस स्टेशन तक जाने को दरकिनार कर देते है क्यों कि आप तो जानते है – हमारे देश में पुलिस स्टेशनों की छवि कितनी डरावनी होती है ,हमरे देश की महिलाये तो वहा के नाम पर ही अपनी नाक भोंव सिकोड़ती है .

         ऐसे में कितना जरुरी है हमारे देश में ऑनलाइन F I R सिस्टम  शुरू करने की इसका बखूबी अन्ताज़ा लगाया जा सकता है . इसके सुरु होने पर कोई यदि चाहे तो थाने में जाकर अपना F I R  दे सकता है और यदि चाहे तो थाने की चोखट से कही दूर या अपने घर पर बैठे भी अपना F I R  ऑनलाइन दर्ज कर सकता है .

        इसके लिए जरुरी है प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा एक-एक स्वतंत्र ‘वेबसाइट’  तैयार कर लान्च करने की .

ऑनलाइन द्वारा होने वाले फर्जी F I R से बचने के लिए ये जरुरी होगा की F I R  देने वाला ब्यक्ति सबमिस्सन में अपना  ‘एड्रेस’ के साथ -साथ अपना ‘ओन हेंड ‘ मोबाइल नम्बर भी अपनी पहचान के तौर पर दर्ज करेगा. ‘वेबसाइट’  द्वारा F I R को कन्फर्म मानने से पहले उस मोबाइल पर साईट द्वरा एक गुप्त कोड प्रेषित किया जायेगा , तत्काल उस ‘ कोड ‘ को ऑनलाइन F I R फार्म पर  ‘पुट उप’ करने के पश्चात ही F I R को साईट द्वारा कन्फर्म किया जायेगा .

        अब देखना यह है हमारे देश के राज्य सरकारों में किस राज्य की सरकार इस दिशा में सकारात्मक कदम उठती हुई  अपने प्रान्त  में ऑनलाइन   F I R सिस्टम जल्द से जल्द लागु करती है .

या फिर कब केंद्र सरकार इस जनहीत कार्य के लिए सभी राज्य सरकारों को कड़ा निर्देश जारी करती है ?

        इसके कई अनगिनत फायदे है – जो सीधे स्वरुप आम जनता को होंगे .

        १ ) हमरे देश की महिलाये जो पुलिस स्टेशनों के द्वारस्थ होने से हिचकती है , वे बेहिचक कही से भी ऑनलाइन F I R  दर्ज करा सकती है .

       २ ) अन्य आम लोगो को भी इससे सुभिधा के साथ-साथ  समय की भी बचत होगी . 

       ३ ) दर्ज किये जा रहे F I R  के समय व तारिख में किसी किस्म के हेर फेर की कोई संभावना नहीं रहेगी .

       ४ ) पुलिस वाले भी किसी आम आदमी के F I R   को दर्ज करने से मना करने की बेजा कोशिस नहीं करेंगे .

       ५ ) किसी भी थाने खेत्र के लिए दर्ज किये जा रहे हर एक F I R पर राज्य सरकार एवं पुलिस हेडक्वाटर  की नज़र रहेगी .

        ६  ) भ्रस्टाचार के बिशाल पेड़ की एक टहनी पर  गहरी चोट लगेगी .

        ७ ) न दर्ज हो रहे बहुतायत जुर्म व घटनाओ का ऑनलाइन F I R दर्ज होने लगेगा जिससे पुलिस वालो के खाली समय का भरपूर सदुपयोग होगा .

                                                             एवंम

             सभी राज्य सरकारों की यह ग़लतफ़हमी भी दूर होने लगेगी कि उसके शासन  काल में उसके राज्य के लोग अमन और चैन कि जिंदगी जी रहे है .

                                                                    ” जय  हिंद “

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by: Suraj Agrawal . Rourkela- Odisha

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